यह कहा जा सकता है ( Pakistan Ya Bharat Ka Vibhajan by Dr B R Ambedakar ) कि जिस लंबी प्रस्तावना के साथ यह कृति प्रारंभ हो रही है, उसके बाद किने आमुख की आवश्यकता नहीं है। परंतु एक उपसंहार इसके साथ जोड़ा गया है और इसलिए मैंने यह सोचा कि आमुख भी इसके साथ दिया जाए।
प्रथमतः इसलिए क्योंकि उपसंहार को आमुख द्वना संतुलित किया जाना जरूरी है और दूसरे इसलिए भी कि यह आमुख मुझे इस बात का अवसर देगा कि थोड़े से शब्दों में मैं इस रचना की व्युत्पत्ति को उन लोगों के सामने रख सकूं जो यह जानने के लिए उत्सुक हों और पाठक ( पाकिस्तान या भारत का विभाजन हिन्दी किताब ) के सम्मुख उन मुद्दों का महत्व स्पष्ट कर सकूं जो इसमें ज्याए गए हैं।
उत्सुक व्यक्ति को यह बताना उचित होगा कि बंबई प्रेसीडेंसी में इंडीपेंडेंट लेबर पार्टी के नाम से पुकारा जाने वाला एक राजनीतिक संगठन, जिसे आई.एल.पी. के संक्षित नाम से संबोधित किया जाता है, पिछले तीन वर्ष से अस्तित्व में है। यह कोई पुराना या भारी-भरकम संगठन नहीं है, जो राजनीति में परिपक्व हो जाने का दावा कर सके। अन्य राजनीतिक संगठनों की तुलना के आइ.एल.पी. युवा है, समुचित रूप से सक्रिय है और किसी टोली अथवा किसी लाभ के लिए सकिय नहीं है।
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान ( पाकिस्तान या भारत का विभाजन हिन्दी किताब ) पर लाहौर प्रस्ताव पारित किए जाने के तत्काल बाद अड. एल.पी. की कार्यकारी परिषद की बैठक इस बारे में विचार करने के लिए आयोजित की गई थी कि पाकिस्तान की परिकल्पना को लेकर क्या रवैया अपनाया जाए। कार्यकारी परिषद ने देखा कि पाकिस्तान की कल्पना के पीछे जो विचार निहित है, उस पर आपत्ति नहीं की जा सकती। कन्तुनः परिषद पाकिस्तान की योजना के प्रति आकर्षित हुई, क्योंकि इसका तात्पर्य सांप्रदायिक या के समाधान हेतु जातीय राज्यों के निर्माण से था।
किंतु ( Pakistan Ya Bharat Ka Vibhajan by Dr B R Ambedakar ) परिषद ने उस समय पाकिस्तान के मामले पर अपनी राय देने में स्वयं को अक्षम महसूस किया। अतएव यह निश्चय लिया कि इस जयन का अध्ययन करने और अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए।
इस ( पाकिस्तान या भारत का विभाजन हिन्दी किताब ) समिति का सभापति मैं स्वयं था और प्रिंसिपल एम.वी.डोंडे, बी.ए. श्री एस.सी. जोशी, एम.ए. एल.एल. बी. एडवोकेट (ओ.एस.); एम.एल.सी; श्री आर.आर. भोले बी.एस.सी., एन.एल.बी., एम. एल.ए., श्री डी.जी. जाधव बी.ए., एल.एल.बी., एम.एल.ए. और श्री ए.वी. चिजे. बी. ए. एम.एल.ए. (सभी आई.एल.पी. से संबंधित) इस समिति के सदस्य थे।
बंबई नगर चिन के सदस्य श्री डी.बी. प्रधान ने समिति के सचिव के रूप में कार्य किया। समिति ने मुझसे माकिस्तान पर एक प्रतिवेदन तैयार करने के लिए कहा। यह कार्य मैंने किया और इसे आइ.एल.पी. की कार्यकारी परिषद को पेश किया, जिसने यह निर्णय लिया कि प्रतिवेदन को प्रकाशित किया जाए। यह निबंध जो अब प्रकाशित हो रहा है, वही प्रतिवेदन है।
इस पाकिस्तान या भारत का विभाजन हिन्दी किताब का ( Pakistan Ya Bharat Ka Vibhajan by Dr B R Ambedakar ) उद्देश्य पाकिस्तान के बारे में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को अपने ही निष्कर्ष पर पहुंचने में सहायता करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैंने इस खंड में सभी आवश्यक और संबद्ध सामग्री ही संकलित नहीं की, अपितु चौदह परिशिष्ट तथा तीन मानचित्र भी जोड़े हैं, जो मेरे विचार में इस पुस्तक की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
बाद के पृष्ठों में संग्रहीत सामग्री का अवलोकन ही पाठक के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उसे उस पर ध्यान भी देना होगा। उसे उस चेतावनी को भी हृदयंगम करना चाहिए जो कार्लाइल ने अपनी मों के अंग्रेजों को दी थी। उन्होंने कहा था- इंग्लैण्ड की मेधा, जो कभी तूफानों की छाती चीरकर आगे उड़ान भरते जाने वाले बाज समान थी. जिसे अपने शौर्य पर गर्व था,
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